
सावन स्कूल अवकाश: उज्जैन में धार्मिक और राजनीतिक परिदृश्य
सावन का पवित्र महीना, जो भगवान शिव को समर्पित है, 11 जुलाई 2025 से 9 अगस्त 2025 तक चलेगा। इस दौरान चार सोमवार (पहला 14 जुलाई को) भक्ति और व्रत के लिए विशेष महत्व रखते हैं। उज्जैन, मध्य प्रदेश में, जिला प्रशासन ने सावन के सभी सोमवारों को स्कूलों में अवकाश घोषित किया है, जिसका उद्देश्य भगवान शिव के प्रति श्रद्धा को बढ़ावा देना है।
कलेक्टर का निर्णय
उज्जैन के जिला कलेक्टर ने यह निर्णय भगवान शिव की नगरी में धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए लिया। इस फैसले से महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा होगी और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
सावन और शिव भक्ति
हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष है। इस दौरान भक्त सोमवार को शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और धतूरा चढ़ाकर व्रत रखते हैं। उज्जैन में इस अवधि में लाखों श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं, जिससे स्थानीय व्यापार को भी लाभ होता है।
राजनीतिक विवाद
इस फैसले ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। कांग्रेस नेता आरिफ मसूद ने इसे संविधान विरोधी और पक्षपाती करार देते हुए कहा कि यह मुख्यमंत्री को खुश करने का प्रयास है। उन्होंने सवाल उठाया कि अन्य धर्मों के लिए भी ऐसी मांग उठी तो प्रशासन क्या करेगा। दूसरी ओर, भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कलेक्टर के अधिकार का समर्थन करते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और उसे विदेशी चमचागिरी करने वाला बताया।
धर्म और राजनीति की धुंधली सीमाएं
यह घटना दर्शाती है कि धार्मिक निर्णय अब राजनीति का हिस्सा बन रहे हैं। कुछ लोग इसे जनभावनाओं का सम्मान मानते हैं, जबकि अन्य इसे धर्म के नाम पर पक्षपात मानते हैं। उज्जैन जैसे धार्मिक केंद्र में इस तरह के फैसले धर्म और राजनीति की मिलती-जुलती सीमाओं को उजागर करते हैं।
शैक्षणिक प्रभाव
सावन के चार सोमवारों के अवकाश से स्कूलों में पढ़ाई का समय कम हो सकता है। कुछ स्कूल इसकी भरपाई शनिवार या अन्य कार्यदिवसों में कर सकते हैं। यह निर्णय छात्रों और शैक्षणिक संस्थानों पर प्रभाव डालेगा।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा
स्कूलों की छुट्टियों से तीर्थयात्रियों को महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए अधिक समय मिलेगा। इससे धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ स्थानीय व्यापार और पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।