
भारत सरकार ने हाल ही में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स दर को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया है। यह बदलाव 23 जुलाई 2024 से प्रभावी है। इसके साथ ही, LTCG की छूट सीमा को भी 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है, जिसका अर्थ है कि अब 1.25 लाख रुपये तक के LTCG पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
LTCG क्या है और नए नियम:
- LTCG का अर्थ: लंबे समय तक रखे गए निवेश, जैसे कि शेयर, म्यूचुअल फंड, या प्रॉपर्टी, पर होने वाला मुनाफा।
- लंबे समय की अवधि: शेयर या इक्विटी के लिए 12 महीने से अधिक, और प्रॉपर्टी के लिए 24 महीने से अधिक।
- नया टैक्स रेट: 12.5% (23 जुलाई 2024 से लागू)।
- छूट सीमा: 1.25 लाख रुपये तक LTCG टैक्स-फ्री रहेगा।
- पिछला टैक्स रेट: 10%।
- टैक्स के लिए शर्त: सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) का भुगतान होना आवश्यक है।
- कौन प्रभावित होगा: मुख्य रूप से शेयर, म्यूचुअल फंड और बिजनेस ट्रस्ट यूनिट्स बेचने वाले निवेशक।
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म में बदलाव:
- अब 1.25 लाख रुपये तक के LTCG होने पर ITR-1 फॉर्म में भी टैक्स रिटर्न फाइल किया जा सकता है। पहले, LTCG होने पर ITR-2 या ITR-3 जैसे जटिल फॉर्म भरने पड़ते थे।
- शेयर बायबैक से हुए कैपिटल लॉस को अब ITR-5 फॉर्म में रिपोर्ट किया जा सकेगा, बशर्ते संबंधित डिविडेंड इनकम "अन्य स्रोतों से आय" में घोषित की गई हो।
LTCG टैक्स रेट में वृद्धि के फायदे और नुकसान:
पहलू | फायदे | नुकसान |
---|---|---|
निवेशक पर प्रभाव | छोटे निवेशकों को राहत (बढ़ी हुई छूट सीमा)। | बड़े निवेशकों का टैक्स बोझ बढ़ेगा। |
टैक्स फाइलिंग | ITR-1 में LTCG रिपोर्टिंग से टैक्स फाइलिंग आसान होगी। | इंडेक्सेशन लाभ कुछ मामलों में खत्म होने से गणना महंगी हो सकती है। |
बाजार पर असर | नियमों में पारदर्शिता बढ़ेगी। | शेयर बाजार निवेशकों को अधिक टैक्स देना पड़ सकता है। |
ध्यान देने योग्य बातें:
- LTCG टैक्स तभी लगेगा जब आपका मुनाफा 1.25 लाख रुपये से ऊपर होगा।
- प्रॉपर्टी की बिक्री पर LTCG टैक्स के नियम अलग हैं, जहां 20% टैक्स और इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है।
- टैक्स बचाने के लिए सेक्शन 54, 54F, 54EC जैसी छूटों का उपयोग किया जा सकता है।
- ITR भरते समय सही फॉर्म का चयन करना महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष: LTCG टैक्स दर में वृद्धि और छूट सीमा में बदलाव से निवेशकों को नए नियमों को समझना और अपनी निवेश तथा टैक्स प्लानिंग को अपडेट करना आवश्यक है। यह छोटे निवेशकों के लिए राहत है, जबकि बड़े मुनाफे पर अधिक टैक्स देना होगा। ITR फॉर्म में बदलाव से टैक्स रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया सरल हुई है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे समय पर और सही फॉर्म भरकर अपना टैक्स अदा करें।