FD कराकर भी आया Income Tax Notice? जानें 6 गलतियां और बचने के तरीके!

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Fixed Deposit (FD) के बावजूद इनकम टैक्स नोटिस क्यों?

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को आमतौर पर एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, जहां पैसा सुरक्षित रहता है और अच्छा ब्याज भी मिलता है। हालांकि, कई बार FD कराने के बावजूद लोगों को इनकम टैक्स विभाग से नोटिस आ जाती है, जिससे निवेशक परेशान हो जाते हैं। यह नोटिस अक्सर FD से जुड़ी कुछ सामान्य गलतियों के कारण आती है।

FD के बाद इनकम टैक्स नोटिस क्यों आती है?

FD पर मिलने वाला ब्याज (Interest) पूरी तरह से टैक्सेबल होता है। यदि आप इस ब्याज को अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में सही ढंग से घोषित नहीं करते, या TDS (Tax Deducted at Source) में कोई गड़बड़ी होती है, तो इनकम टैक्स विभाग नोटिस भेज सकता है। इसके अलावा, FD से जुड़े लेनदेन, बैंक स्टेटमेंट, फॉर्म 26AS, AIS (Annual Information Statement) और ITR में जानकारी का मिलान न होने पर भी विभाग को आय छिपाने का संदेह हो सकता है।

इनकम टैक्स नोटिस आने के 6 सबसे बड़े कारण:

  • FD ब्याज को ITR में घोषित न करना: बहुत से लोग सोचते हैं कि बैंक ने TDS काट लिया है, तो FD ब्याज को ITR में दिखाने की जरूरत नहीं। लेकिन, यह पूरी तरह से टैक्सेबल है और इसे ITR के 'Income from Other Sources' सेक्शन में दिखाना अनिवार्य है।
  • TDS मिसमैच – Form 26AS और ITR में फर्क: बैंक आपके FD ब्याज पर TDS काटता है और इसकी जानकारी Form 26AS में उपलब्ध होती है। यदि ITR में भरी गई TDS या ब्याज की जानकारी Form 26AS से मेल नहीं खाती, तो नोटिस आ सकती है।
  • उच्च-मूल्य वाले लेनदेन को रिपोर्ट न करना: यदि आपने एक साल में ₹10 लाख या उससे अधिक की FD कराई है, तो बैंक इसकी जानकारी इनकम टैक्स विभाग को देता है। यदि आप इस लेनदेन को ITR में घोषित नहीं करते या इसके स्रोत का खुलासा नहीं करते, तो नोटिस आ सकती है।
  • AIS (Annual Information Statement) और ITR में अंतर: AIS में आपके सभी वित्तीय लेनदेन, जैसे FD ब्याज, की विस्तृत जानकारी होती है। यदि AIS और ITR में FD ब्याज या निवेश राशि में कोई अंतर पाया जाता है, तो यह नोटिस का कारण बन सकता है।
  • FD ब्याज को दो बार घोषित करना या भूल जाना: कई बार गलती से लोग FD ब्याज को दो बार घोषित कर देते हैं (जैसे बैंक स्टेटमेंट और AIS दोनों से), या फिर इसे घोषित करना पूरी तरह से भूल जाते हैं। दोनों ही स्थितियों में अंतर दिखने पर नोटिस आ सकती है।
  • FD पर नॉमिनी या परिवार के सदस्य के नाम पर निवेश: यदि आपने FD अपने या परिवार के किसी सदस्य के नाम पर की है, लेकिन निवेश का स्रोत आपकी आय है और आपने इसे ITR में सही ढंग से घोषित नहीं किया, तो FD से मिलने वाला ब्याज आपकी टैक्सेबल आय में जोड़ा जाएगा और चूक होने पर नोटिस आ सकती है।

इनकम टैक्स नोटिस आने पर क्या करें?

  • घबराएं नहीं: नोटिस का मतलब हमेशा जुर्माना नहीं होता।
  • नोटिस को ध्यान से पढ़ें: समझें कि किस धारा (Section) के तहत नोटिस आई है और क्या जानकारी मांगी गई है।
  • दस्तावेज तैयार रखें: FD सर्टिफिकेट, बैंक स्टेटमेंट, Form 26AS, AIS और अपनी ITR कॉपी जैसे सभी आवश्यक दस्तावेज संभाल कर रखें।
  • सही और पूरी जानकारी दें: इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर नोटिस में मांगी गई जानकारी और दस्तावेजों को सही ढंग से अपलोड करें।
  • विशेषज्ञ से सलाह लें: यदि नोटिस समझ में नहीं आ रही है या आपको मदद की जरूरत है, तो किसी टैक्स एक्सपर्ट या चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) से सलाह लें।
  • समय पर जवाब दें: नोटिस का जवाब निर्धारित समय-सीमा के भीतर देना बहुत महत्वपूर्ण है, अन्यथा जुर्माना या कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

FD और इनकम टैक्स नोटिस से बचने के आसान उपाय:

  • हर साल ITR भरने से पहले अपने Form 26AS और AIS को अवश्य जांचें और मिलान करें।
  • FD ब्याज को हमेशा अपनी ITR में 'Income from Other Sources' के तहत घोषित करें, भले ही उस पर TDS कटा हो या नहीं।
  • किसी भी उच्च-मूल्य वाले लेनदेन को न छुपाएं और उसके स्रोत का सही-सही खुलासा करें।
  • परिवार के सदस्य के नाम पर की गई FD के ब्याज को भी अपनी आय में शामिल करें, यदि निवेश का स्रोत आपकी आय है।
  • यदि AIS या Form 26AS में कोई गलती है, तो तुरंत बैंक या संबंधित प्राधिकरण से उसे ठीक करवाएं।
  • इनकम टैक्स नोटिस आने पर उसे कभी भी नजरअंदाज न करें, तुरंत कार्रवाई करें।

निष्कर्ष:

इनकम टैक्स विभाग अब पूरी तरह से डिजिटल और डेटा-आधारित हो गया है, जिससे हर छोटे-बड़े वित्तीय लेनदेन पर नजर रखी जाती है। FD ब्याज को ITR में सही ढंग से घोषित करना, TDS और उच्च-मूल्य वाले लेनदेन की सही रिपोर्टिंग करना बहुत जरूरी है। यदि आपको नोटिस मिलती है, तो घबराएं नहीं, बल्कि सही दस्तावेज और जानकारी के साथ समय पर जवाब दें। हमेशा आधिकारिक स्रोतों से जानकारी लें और यदि आवश्यक हो तो किसी योग्य कर विशेषज्ञ या CA से सलाह लें। पारदर्शिता और सही समय पर ITR फाइलिंग ही नोटिस से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।

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