
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (LCR) नियम: गहरायी से समझ
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (LCR) के लिए नए नियम जारी किए हैं, जो 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य भारतीय बैंकों की तरलता (Liquidity) को मजबूत करना और उन्हें वैश्विक मानकों के अनुरूप लाना है। LCR एक महत्वपूर्ण वित्तीय मानक है जो यह सुनिश्चित करता है कि बैंक के पास कम से कम 30 दिनों के वित्तीय तनाव के दौरान नकदी की पर्याप्त मात्रा हो।
लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (LCR) क्या है?
लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (LCR) एक ऐसा अनुपात है जो बैंक के पास उपलब्ध उच्च गुणवत्ता वाली तरल संपत्ति (High Quality Liquid Assets – HQLA) और उनके कुल शुद्ध नकद बहिर्वाह (Net Cash Outflows) के बीच संबंध बताता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बैंक के पास 30 दिनों के तनावपूर्ण वित्तीय माहौल में नकदी की पर्याप्त मात्रा हो ताकि वे अपने भुगतान समय पर कर सकें।
- HQLA में मुख्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियां (Government Securities), AAA रेटेड कॉर्पोरेट बॉन्ड्स, और नकदी शामिल होती हैं।
- LCR का फॉर्मूला है: LCR = (HQLA / 30 दिनों में कुल शुद्ध नकद बहिर्वाह) × 100
RBI के नए LCR नियमों के मुख्य बदलाव
1. इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग जमा पर अतिरिक्त रन-ऑफ रेट
RBI ने तय किया है कि रिटेल और छोटे व्यवसायों द्वारा इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से किए गए जमा पर अतिरिक्त 2.5% रन-ऑफ रेट लागू किया जाएगा। इसका मतलब है कि बैंक को इन जमा पर अधिक नकदी रिजर्व रखना होगा क्योंकि डिजिटल माध्यम से जमा अधिक अस्थिर माने जाते हैं। पहले यह दर 0% या कम थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 2.5% किया गया है ताकि संभावित ऑनलाइन निकासी के जोखिम को कम किया जा सके।
2. सरकारी प्रतिभूतियों पर हेयरकट (Haircut) लागू करना
सरकारी प्रतिभूतियों (Level 1 HQLA) की बाजार मूल्य पर अब लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF) और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) के मार्जिन नियमों के अनुसार हेयरकट लागू होगा। इसका मतलब है कि इन प्रतिभूतियों की वैल्यू को कुछ प्रतिशत कम करके ही LCR में गिना जाएगा। इससे बैंक की तरलता की वास्तविक स्थिति और अधिक स्पष्ट होगी।
3. थोक फंडिंग (Wholesale Funding) के लिए रन-ऑफ रेट में बदलाव
जो फंडिंग गैर-वित्तीय संस्थाओं जैसे शैक्षिक, धार्मिक, चैरिटेबल ट्रस्ट, पार्टनरशिप और LLP से आती है, उसके लिए रन-ऑफ रेट को 100% से घटाकर 40% कर दिया गया है। इससे बैंकों को इन स्रोतों से फंडिंग पर कम नकदी रिजर्व रखना होगा, जो उनकी तरलता प्रबंधन में मदद करेगा।
नियमों का प्रभाव और उद्देश्य
- इन नियमों के लागू होने से बैंकों की कुल LCR में लगभग 6 प्रतिशत अंक की वृद्धि होगी।
- RBI का मानना है कि ये नियम बैंकों की तरलता क्षमता को मजबूत करेंगे और वैश्विक मानकों के साथ भारतीय नियमों को बेहतर तरीके से मेल करेंगे।
- ये बदलाव गैर-विनाशकारी (non-disruptive) तरीके से लागू किए जाएंगे ताकि बैंकिंग प्रणाली में स्थिरता बनी रहे।
RBI New LCR Rules का लाभ और प्रभाव
लाभ
- तरलता में सुधार: बैंक के पास अधिक नकदी उपलब्ध होगी, जिससे वित्तीय संकट के समय वे बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे।
- डिजिटल बैंकिंग जोखिम कम होंगे: इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग से जुड़े जमा पर अतिरिक्त रन-ऑफ रेट से ऑनलाइन निकासी के जोखिम को कम किया जाएगा।
- वैश्विक मानकों के अनुरूप: RBI के नियम Basel III के तहत बनाए गए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य हैं।
- बैंकिंग सिस्टम की मजबूती: नए नियमों से बैंकिंग सिस्टम की स्थिरता और विश्वसनीयता बढ़ेगी।
प्रभाव
- बैंकों को अधिक HQLA रखना होगा, जिससे उनकी तरलता प्रबंधन की रणनीतियां बदल सकती हैं।
- डिजिटल जमा पर अधिक नकदी रिजर्व के कारण बैंकिंग सेवाओं की लागत में मामूली वृद्धि हो सकती है।
- छोटे व्यवसायों और रिटेल ग्राहकों के लिए बैंकिंग उत्पादों की शर्तों में बदलाव आ सकता है।
RBI New LCR Rules: महत्वपूर्ण पद (Important Terms)
कुछ महत्वपूर्ण पद और उनकी व्याख्याएँ इस प्रकार हैं:
- Liquidity Coverage Ratio (LCR): बैंक के पास उपलब्ध उच्च गुणवत्ता वाली तरल संपत्तियों का अनुपात जो 30 दिनों के नकद बहिर्वाह को पूरा करता है।
- High Quality Liquid Assets (HQLA): ऐसी संपत्तियां जो जल्दी नकदी में बदली जा सकती हैं, जैसे सरकारी प्रतिभूतियां।
- Run-off Rate: जमा के उस हिस्से का प्रतिशत जो तनावपूर्ण स्थिति में नकदी के रूप में निकाला जा सकता है।
- Haircut: संपत्ति की बाजार मूल्य में की गई कटौती, जिसे जोखिम को समायोजित करने के लिए लागू किया जाता है।
- Liquidity Adjustment Facility (LAF): RBI द्वारा बैंकों को तरलता प्रदान करने की सुविधा।
- Marginal Standing Facility (MSF): RBI की एक आपातकालीन तरलता सुविधा।
RBI New LCR Rules का सारांश
Term | Explanation |
---|---|
Liquidity Coverage Ratio (LCR) | 30 दिनों के शुद्ध नकद बहिर्वाह के मुकाबले उच्च गुणवत्ता वाली तरल संपत्तियों का अनुपात |
High Quality Liquid Assets (HQLA) | सरकारी प्रतिभूतियां और नकदी जैसी संपत्तियां जिन्हें जल्दी नकदी में बदला जा सकता है |
Run-off Rate | तनावपूर्ण स्थिति में निकाले जाने वाले जमा का प्रतिशत |
Haircut | LCR गणना के लिए संपत्तियों के बाजार मूल्य पर लागू की गई कटौती |
इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग जमा | 1 अप्रैल 2026 से अतिरिक्त 2.5% रन-ऑफ रेट लागू होगा |
थोक फंडिंग रन-ऑफ रेट | गैर-वित्तीय संस्थाओं (जैसे ट्रस्ट, LLP) के लिए 100% से घटाकर 40% किया गया |
प्रभावी तिथि (Effective Date) | 1 अप्रैल 2026 |
छूट प्राप्त बैंक (Banks Exempted) | पेमेंट्स बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs), लोकल एरिया बैंक |
निष्कर्ष
RBI के नए लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (LCR) नियम भारतीय बैंकिंग प्रणाली की तरलता को मजबूत बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हैं। डिजिटल बैंकिंग के बढ़ते उपयोग को ध्यान में रखते हुए, RBI ने इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग से जुड़े जमा पर अतिरिक्त रन-ऑफ रेट लागू किया है। साथ ही, सरकारी प्रतिभूतियों पर हेयरकट और थोक फंडिंग के लिए रन-ऑफ रेट में बदलाव से बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। ये नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे और भारतीय बैंकों को वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बैठाने में मदद करेंगे।
अस्वीकरण: यह RBI के आधिकारिक नए लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (LCR) नियमों पर आधारित एक वास्तविक और वैध जानकारी है। ये नियम RBI द्वारा जारी किए गए हैं और 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होंगे। इसलिए यह कोई अफवाह या फेक योजना नहीं है, बल्कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली की मजबूती के लिए एक आवश्यक वित्तीय सुधार है।